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चिट्ठी

          ।।   चिट्ठी।। कल चिटठी बन कर आऊंगा, गर वक़्त मिले तो पढ़ लेना कुछ टूटे से अक्षर होंगे , कुछ रूठे रूठे से होंगे, कुछ में आँसू की बूंदों से, थोड़े से धुंधले होंगें, कुछ शब्दों में तर्क नहीं होगा, बस एक इशारा पढ़ लेना । कल चिटठी..... कुछ शब्द अधूरे से होंगे, अल्प विराम न जाने कितने पूर्ण विराम नहीं होंगे, मात्रा पाई का ध्यान नहीं,  कै की में भी ,अंतर होंगें, कुछ के अर्थ नहीं होंगे, बस जोड़ जोड़कर एक बार तुम, उनको कैसे भी पढ़ लेना, कल  चिटठी...... कैसे तुमको संबोधन दूं , कोई शिष्टाचार नहीं होंगें, कुछ पहले भी शब्द सुने होंगें, कुछ गीतों से मिलते होंगें कुछ शब्दों में दर्द नहीं होगा,  कुछ उखड़े हुये लिखे होंगें, यार जंहा भी लिखा दिखे , तुम उसको प्यार समझ लेना कल चिटठी......... सुशील शर्मा